4 June 2020

लॉकडाउन का अनुभव... #covid-19 #lockdown #2020

21 वी सदी, 2020 वा वर्ष , चीते से भी तेज़ दौड़ती दुनिया। तेज़ रफ़्तार बुलेट ट्रैन , पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक का सफर मिनटों में तय करने वाले हवाईजहाज ,भव्य गगनचुम्भी इमारतें , ज़मीं के नीचे चलने वाली मेट्रो ट्रैन , हवा में झूलते बड़े बड़े फ्लाईओवर , मंगल तक की उड़ान, परमाणु ऊर्जा से समृद्ध राष्ट्र ,चाँद पर घर बसाने की ख़्वाहिश, अत्याधुनिक तकनीक और सबसे ऊपर कुदरत को चुनौती देता मानव जाती का बढ़ता हुआ अहंकार ... और फिर सब एक ही बार में थम सा गया। मानो  समय के पहिये की गति मंद हो गई और सम्पूर्ण संसार एक बड़े से स्थूल शून्य में समा गया।


                               चीन के 'वुहान' शहर के मांस बाजार से जनित जीवाणु  'नोवल कोरोना वायरस COV-2 ' ने जापान ,इटली, फ्रांस,अमरीका ,भारत से होते हुए  पूरे विश्व में 'COVID-19' नामक बीमारी को आग की तरह फैला दिया और इस बीमारी ने महामारी का रूप लेकर पूरे विश्व को नागपाश की भांति अपने आवेश में जकड़ लिया। इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया। यह तो हम सब को विदित ही है कि अब तक इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। इसे सिर्फ सावधानी और सतर्कता से ही रोका जा सकता है।

                               बहरहाल इस कोरोना महामारी के कारण हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे भारत में 23 मार्च से लॉकडाउन घोषित कर दिया है। अब लॉकडाउन भला किसको पसंद होता है।  वैसे तो हम अपने काम से वक़्त ना मिलने की शिकायत करते रहते थे परन्तु अब जब वक़्त ही वक़्त मिल गया तब ख़ुशी नहीं असहजता महसूस कर रहे हैं।  हालाँकि शुरुआत के 4-5  दिन तो लगभग आसानी से कट गए। कभी पुराने मित्रों से बात कर
ली तो कभी टाँगें फैला के चैन की नींद सो लिए।  लेकिन फिर इससे आगे का वक़्त मानो कैद सा लगने लगा। फिर भी मनुष्य जाति  सामंजस्य बैठा ही लेती है और अब तो इसके आलावा कोई और चारा भी नहीं  था हमारे पास।  तो हम लोगों ने अब इस लॉकडाउन का आनंद उठाना शुरू कर दिया। अब घर को ही मंदिर-मस्ज़िद मानकर भगवान का ध्यान किया जाने लगा। आजकल शाम को दादा-दादी की पुरानी कहानियाँ बड़े चाब से सब बच्चे सुनने को बैठ जाते हैं क्यूँकि अब कितना ही कॉर्टून देखें वो। खेर कहानियाँ भी उनके पसंदीदा कार्टूंनों से बेहतर है  जिसे वो बच्चे अब समझ पा रहे हैं।    



इन प्यारे बच्चों के साथ आज  सारे बड़े भी बच्चे बन गए और सबने लूडो ,केरम ,सांप-सीढ़ी ,तम्बोला ,गुट्टे , राजा मंत्री चोर सिपाही आदि खेलों का काफी आनंद लिया। घर की महिलाओं के साथ आज पुरुष वर्ग कंधे से कन्धा मिला कर खड़ा हुआ। जी हाँ दरसल रसोई में पुरुषों ने भी घर की महिलाओं की काफी मदद की है इस लॉकडाउन में और जाना स्त्री किस कदर घर संभालती है जो कोई छोटा-मोटा काम नहीं होता। दसवीं में आई बच्चियां अपनी माँ के हाथ की सिलाई-कढ़ाई देख कर उसको सिखने का प्रयास करती नज़र आ रही हैं।   

                             आज पूरा परिवार मानो 90 के दशक के समान एक साथ रहने लगा है। कई दिनों के बाद सुबह का नास्ता हो या रात के खाने के बाद का गरमा-गरम दूध ,सबने एक ही छत के नीचे साथ मिलकर साझा किया। इस सब के बीच दूरदर्शन ने रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण करके भारतीयों के ह्रदय में पारिवारिक मूल्यों एवं धर्म के प्रति आस्था का पुनः संचार कर दिया। और सबसे रोचक बात आज पिंटू ने कई दिनों बाद सुबह-सुबह प्राणायाम के बहाने सोनम को उसकी छत पर हाथ में किताब लिए बालों से खेलते देखा। क्यूँकि वो पुरे तीन साल बाद ही तो दिल्ली से आयी है अपने घर जीरापुर।

                            खैर अभी तो यह लॉकडाउन जल्द समाप्त होता नज़र नहीं आ रहा।  लेकिन जब यह लॉकडाउन खत्म होगा तब परिणाम कुछ ठीक नहीं होंगे।  मैं यह अंदाजा लगा सकता हूँ की शायद हम स्वास्थ्य की दृष्टि से तो ठीक हों परन्तु आर्थिक रूप से हमको काफी नुक्सान होने की आशंका है। बाजार में काफी उछाल - गिराव दिखेगा , चीज़ों के दाम आसमान छुएँगे, कुछ उपक्रम अपने कर्मचारियों को संसाधनों की कमी के कारण नौकरी से निकाल भी सकते हैं ,मंदी का दौर आ भी सकता है।  

                    लेकिन जो भी हो हम सब भारतवासी साथ मिलकर मेहनत करेंगे और अपनी आर्थिक व्य्वस्था को दोबारा सही मार्ग पर लाने का पूरा-पूरा प्रयास करेंगे। बस भगवान से अब यही प्रार्थना है की वो हमको जल्द से जल्द इस महामारी से निजात दिलाए जिससे सभी दोबारा निर्भीक होकर अपने-अपने कार्य कर सकें। विद्यार्थी नवीन उत्साह के साथ स्कूल जाएँ ,कामकाजी वर्ग अपने-अपने धंधे संभाले और  राज व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके। 
   




नोट  :  इस कठिन समय में डॉक्टर ,नर्सें , सफाई कर्मचारी ,पुलिस , शासन एवं प्रशासन भगवान बनके ही हम सब की रक्षा कर रहे हैं। इन सभी को मेरा दिल से सलाम।   




             -: मनु शर्मा 

19 April 2020

Ashok Chakra Havildar Hangpan Dada


"Our flag does not fly because the wind moves it, it flies with the last breath of each soldier who  died protecting it."


                           



In India, the incidents of cross-border infiltrations, movements and attacks by terrorists are not new. A similar kind of incident happened in the Naugam sector of Kashmir in May,2016. The movement of a group of four terrorists was noticed in the harsh Himalayan terrain of Naugam in Jammu & Kashmir. Taking action against this infiltration, an order was passed by the concerned authorities to Havildar Hangpan Dada to neutralize the infiltration by the terrorists.

On May 26, 2016, Dada, as Sabu post commander of 35 Rashtriya Rifles (RR) with his team took the charge. Dada, being a true leader and an Indian Army soldier led his team from the front . There was a close encounter between the Dada's team and the terrorists. Dada fought with intelligence and great valor. Terrorists hid behind the rocks still Dada killed two terrorists immediately after spotting them. After this, Dada moved forward to the third terrorist and killed him in close combat however during the fight , the fourth terrorist fired at Dada and he got injured but recollecting his strength, Dada stood up again to kill that terrorist. But in the procees Dada was shot again and got severely injured. Reacting to this a team member of Dada sieved the terrorist's chest with bullets .

                      And in this way, all the four terrorists were neutralized and the operation was successful but at the same time, India lost one of her brave sons. Havildar Hangpan Dada sacrificed his life for the sake of his motherland.

             Literally, soldiers like Dada are the real backbone of the Indian defence forces . Hangpan Dada was born in Borduria village, Tirap district,Arunanchal Pradesh. He joined the 3rd battalion of the Parachute Regiment on 28 October 1997. In 2005, he was transferred to the Assam Regimental Centre, and on 24 January 2008, he joined the 4th battalion, Assam Regiment. He then requested a transfer to a Rashtriya Rifles battalion on operations in Jammu and Kashmir and then he was posted to 35 Rashtriya Rifles in May 2016 where he killed four terrorists with his team. Dada was married to ChasenLowang and had two beautiful children, daughter Roukhin and son Senwang. Sengwang wants to become an Indian Army officer.
             Dada was awarded with Ashoka Chakra (posthumous) , the highest military gallantry award during peace-time operations on 26 Jan 2017.
Salute to Ashok Chakra Havildar Hangpan Dada.......JAI HIND !

Thank you,
Manu Sharma